उसूल और मान्यताएं अलग नहीं होते, तो दुनियां में ना कोई आस्तिक होते ना कोई नास्तिक होते I हर कोई वास्तविक होते I👌
उसूल और मान्यताएं अलग नहीं होते, तो दुनियां में ना कोई आस्तिक होते ना कोई नास्तिक होते I हर कोई वास्तविक होते I👌
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